तृतीय दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती ने असुरों का संहार करने के लिए इस रुप को धारण किया था.
जो चांद के रूप में प्रतिष्ठित हैं। वे एक कमल की सवार होती हैं और एक चंद्रमा की प्रतिमा के साथ अपने मुख में एक त्रिशूल धारण करती हैं। मां की अराधना
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।। पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। देवी की पूजा के लिए लाल और पीले फूलों का उपयोग करना चाहिए. पूजा में अक्षत, चंदन और भोग के लिए पेड़े चढ़ाना चाहिए. माना जाता है कि मंत्रों का जप, घी से दीपक जलाने, आरती, शंख और घंटी बजाने से माता प्रसन्न होती हैं|
मां चंद्रघंटा किसका प्रतीक है?
मां चंद्रघंटा देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। वह निर्भयता और साहस का प्रतीक हैं और उन्हें चंद्रखंडा, चंडिका या रणचंडी के नाम से भी जाना जाता है।
मां चंद्रघंटा को कौन सा रंग प्रिय है?
मां चंद्रघंटा को लाल जोड़े में रहना पसंद है, इसलिए भक्तों को भी लाल रंग पहनकर पूजा करनी चाहिए. लाल रंग वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक है और इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है|
चंद्रघंटा का अर्थ क्या होता है?
हिंदू धर्म में, चंद्रघंटा देवी महादेवी का तीसरा नवदुर्गा स्वरूप है, जिसकी पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन ( नवदुर्गा की नौ दिव्य रातें) की जाती है। उसका नाम चंद्र – घंटा है , जिसका अर्थ है “वह जिसके पास घंटी के आकार का आधा चंद्रमा है”। मां के शीर्ष पर अर्द्धचंद्र के आकार का घंटा शोभायमान है, इसलिए मां को चंद्रघण्टा का नाम दिया गया।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अतुलनीय और अलौकिक है। धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा संसार में न्याय और अनुशासन स्थापित करती हैं। उनकी 10 भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। वह देवी पार्वती का विवाहित रूप हैं। मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान हैं। देवों के देव महादेव से विवाह करने के बाद मां चंद्रघंटा ने अपने माथे को अर्धचंद्र से सजाया था।
मां चंद्रघंटा मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन अगर मां चंद्रघंटा के मंदिर में दर्शन करने का अवसर मिले तो चूकें नहीं| मां का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित है| मां दुर्गा के सभी नौ स्वरुपों के एकसाथ दर्शन हो जाते हैं
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती ।।
क्रोध को शांत बनाने वाली । मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली । हर संकट मे बचाने वाली। ।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये । श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय । ।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएँ । सन्मुख घी की ज्योत जलाएं। ।
शीश झुका कहे मन की बाता । पूर्ण आस करो जगदाता । ।
कांची पुर स्थान तुम्हारा करनाटिका में मात्र तुम्हारा । ।
नाम तेरा रटू महारानी । ‘भक्त’ की रक्षा करो भवानी।
मन ही मन में माता से प्रार्थना करें कि हे मां! आप की कृपा हम पर सदैव बनी रहे और हमारे दुःखों का नाश हो।
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